बाल विवाह पर निबंध, कारण, दुष्परिणाम और रोकने के उपाय

बाल विवाह पर निबंध, कारण, दुष्परिणाम और रोकने के उपाय

 प्रस्तावना

हमारे देश में प्राचीन समय से कुछ ऐसी प्रथाएं चली आ रही है। जिसका लोगों के दैनिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर लड़कियों पर प्राचीन सभी प्रथाओं में "बाल विवाह" भी एक हैं। "किसी भी बच्चे की शादी उसके निश्चित आयु से पहले यानी बाल्यकाल में होना बाल विवाह   कहलाता है।" यह एक रूढ़िवादी प्रथा है। यह प्रथा बच्चों की सारे मनवा अधिकारों को खत्म कर देता है। जैसे- खेलकूद, मनोरंजन, शिक्षा आदि के अधिकारों को समाप्त कर उन्हें ऐसे बंधन में बांध दिया जाता है, जिसके बारे में उन्हें बिल्कुल भी ज्ञान नहीं होता है।

बाल विवाह कुप्रथा है, कैसे

प्राचीन सभी प्रथाओं में बाल विवाह सबसे बड़ा कुप्रथा है। क्योंकि कम उम्र में बच्चों की शादी कर देने से उनके स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ उनके खुशहाल जीवन पर असर पड़ता है। साथ ही वह अपने शिक्षा और खेलकूद के अधिकारों आदि से वंचित रह जाते हैं।

इस कुप्रथा का शिकार ज्यादातर कम उम्र की "लड़कियां" होती है। क्योंकि इसमें ना सिर्फ कम उम्र की लड़की का विवाह  कम उम्र के लड़के के साथ कराया जाता है, बल्कि कम उम्र की लड़की का विवाह अधिक उम्र के लड़के से भी करा दिया जाता है। बाल्यकाल में विवाह होने से बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं हो पाता है।

यह प्राचीन समय से चली आ रही प्रथा है, जो कई  पीढ़ियों द्वारा आगे बढ़ाया गया है। जिसके कारण इस प्रथा को अब भी कई स्थानों पर देखा जा सकता है।

प्राचीन मान्यताएं 

प्राचीन मान्यता के अनुसार यह प्रथा दुनिया भर में आम बात है। यह प्रथा कई सदियों पुराना है। कुछ लोगों के मतानुसार यह "वैदिक काल" से चली आ रही प्रथा है, कुछ का कहना है कि यह "मध्यकाल" से चली आ रही है।

इसे भी पढ़े :-

बाल मजदूरी पर निबंध हिंदी में

योग पर निबंध हिंदी में।

कृषि पर निबंध हिंदी में।

लाल किला पर निबंध हिंदी में।


बाल विवाह के कारण

बाल विवाह के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक रूप में कई कारण है। इनमें सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है।

1.बेटी की अपेक्षा बेटे को सर्वश्रेष्ठ समझना

प्राचीन काल में बेटी की अपेक्षा बेटों को सर्वश्रेष्ठ समझा जाता था। आज भी कई समुदायों में जहां बाल विवाह का प्रचलन है। वहां लड़कियों को लड़कों की तरह महत्व नहीं दिया जाता है। लड़कियों को उनके परिवार वाले द्वारा बोझ के रूप में देखा जाता हैं। इसलिए अपनी बेटी का कम उम्र में विवाह कर अपना बोझ उसके पति के ऊपर डाल देना चाहते हैं। ताकि वे अपनी आर्थिक कठिनाई को कम कर सके। लड़कियों को बचपन से ही ऐसे माहौल में रखा जाता है जिसके कारण वह अपने हक के लिए नहीं लड़ पाती है। बिना वजह उसे घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। समाज में हर किसी से बात करने की अनुमति नहीं दी जाती है। शिक्षा खेलकूद आदि के अधिकारों से वंचित रखा जाता है। यही वजह है कि लड़कियां अपने साथ हुए शोषण के प्रति आवाज नहीं उठा पाती है। वह सूचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था तक‌ मदद के लिए नहीं पहुंच पाती है।

2.गरीबी

बाल विवाह का दूसरा मुख्य कारण गरीबी है। बाल विवाह ज्यादातर गरीब परिवारों में होता है। व्यक्ति आर्थिक रूप से इतने कमजोर होते हैं कि लड़कियों का खर्चा ज्यादा दिन तक नहीं उठाना चाहते हैं। क्योंकि उन्हें पता होता है कि लड़कियां पराई धन होती है। एक दिन उसे दूसरे घर जाना ही पड़ेगा। इसलिए वे सोचते हैं कि लड़की की शादी जल्द से जल्द करने से उन्हें उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शादी में ज्यादा खर्चा नहीं करना पड़ेगा। और लड़कों की कम उम्र में शादी करने देने से वह जल्द ही परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझेगा। गरीब परिवार के लोग लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को शिक्षित करने पर ज्यादा बल देते हैं।

3.परंपरा

कुछ लोगों का मानना होता है कि बाल विवाह प्राचीन प्रथा है। कई स्थानों पर बाल विवाह सिर्फ इसलिए होता है। क्योंकि यह पीढ़ीयों से चली आ रही प्रथा है। और इस प्रथा को कायम रखने के लिए आज भी कई स्थानों पर  बाल विवाह करवाया जाता है।

4. निरक्षरता

शिक्षा संपूर्ण मानव जीवन के लिए आवश्यक होता है। शिक्षा व्यक्ति को विकासशील बनाने में मदद करती हैं। लेकिन जिनके पास शिक्षा का अभाव होता है मानसिक रूप से वह विकसित नहीं हो पाते हैं। फलस्वरूप शीघ्र ही गृहस्थ जीवन की शुरुआत करने लगते हैं। बाल विवाह इसका प्रत्यक्ष परिणाम है।

5.सामाजिक असुरक्षा 

समाज में लोग अपने प्रतिष्ठान को कायम रखने के लिए अपने घर के बहू बेटियों को हमेशा पर्दे में रखना चाहते हैं। ताकि वह बाहरी व्यक्ति‌ के संपर्क में ना आए। समाज में प्रेम प्रसंग को मान प्रतिष्ठा के खिलाफ समझा जाता है। उनके अनुसार प्रेम करना परिवार के संस्कार,मान, सम्मान के खिलाफ होता है। इसीलिए उनके बच्चे किसी प्रकार के प्रेम प्रसंग में ना पड़े इसीलिए उसका विवाह कम आयु में कर देते हैं। इसके अलावा समाज में ऐसी घटना होती रहती है जिसके कारण लड़कियां समाज में अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। यह कारण भी बाल विवाह को बढ़ावा देता है।

6. दहेज प्रथा-

दहेज प्रथा भी बाल विवाह का मुख्य कारण है। माता–पिता दहेज देने के भय से कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर देते हैं। क्योंकि लड़का जितना पढ़ा लिखा होगा माता-पिता को उतना ही दहेज देना पड़ेगा। दहेज लड़की के माता-पिता को आर्थिक रूप से खोखला कर देती है।

परिणाम

बाल विवाह एक ऐसी प्रथा है, जिसका समाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके दुष्परिणाम इस प्रकार है।

1. मानवाधिकारों से वंचित-

बाल विवाह का सबसे बड़ा दुष्परिणाम बच्चों के शिक्षा, खेलकूद आदि से संबंधित अधिकारों पर पड़ता है। खासकर लड़कियों को जो अधिकार मिलने चाहिए, उन्हें उन अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और उन्हें छोटी उम्र में ही घर के कामों को सीखने और करने के लिए के लिए मजबूर कर दिया जाता है।

2. बचपना से वंचित

यह एक ऐसी कुप्रथा है जो बच्चों से उसके बचपन को छीन लेती है। जो उम्र उनके खेलने-कूदने, अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत करने, मनोरंजन करने का होता है। तब उन्हें एक ऐसी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है जिसके बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता होता है। जहां उन्हें गुड्डे–गुड़ियों की शादी जैसे खेल खेलने चाहिए वहां उन्हें ही गुड्डे–गुड़िया बनाकर उनका विवाह कर दिया जाता है। विवाह जैसे बंधन में बंधने के बाद उनके ऊपर एक ऐसी जिम्मेदारी डाल दी जाती है। जिससे उनके मानसिक, सकारात्मक एवं भावनात्मक विकास में वृद्धि नहीं हो पाती है। 

3. निरक्षरता

बाल विवाह के कारण लड़कियां घरेलू काम काजो में व्यस्त हो जाती है। उन्हें बीच में ही अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ती है। वह यदि पढ़ना भी चाहे तो उसे पढ़ने नहीं दिया जाता है। कम उम्र में विवाह के चलते हैं लड़कियां अशिक्षित ही रह जाती है। जिसके कारण वह अपने साथ हुए शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती है। वह जीविका के लिए अपने परिवार के ऊपर निर्भर हो जाती हैं।

समाज में नारी शिक्षा के अभाव होने के कारण उनका भरपूर शोषण होता है। खुद अशिक्षित होने के कारण वह अपने बच्चों को भी शिक्षित नहीं कर पाती है। जिसके कारण समाज में कई प्रकार के कुप्रभाव को बढ़ावा मिलता है। बाल विवाह उन्हीं में से एक है।

रोकथाम के उपाय-

ऐसे कई सारे उपाय है जिससे समाज में बाल विवाह जैसे कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है।

1. शिक्षा को बढ़ावा देना-

बाल विवाह की समाप्ति के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है। खासकर लड़कियों की शिक्षा पर विशेष बल देना चाहिए। ताकि वह अपने अधिकारों के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक हो सके। और अपने साथ होने वाले शोषण के प्रति आवाज उठा सके। अतः एक शिक्षित समाज ही सारे कुप्रथाओं को समाप्त कर सकती हैं।

2. समाज को बाल विवाद के नकारात्मक प्रभाव से अवगत कराना

बाल विवाह का सामाजिक जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बाल विवाह रोकने का जिम्मेदारी केवल सरकार का ही नहीं है। हम सबको मिलकर के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। और समाज में बाल विवाह के नकारात्मक प्रभाव से लोगों को अवगत कराना चाहिए।

3. बाल विवाह के प्रति बने कानून का पालन करना

कानून सबके लिए समान होता है, और इसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होता है। बाल विवाह के रोकथाम के लिए ऐसे कानून बनाए गए हैं जिसका पालन यदि सुचारु रुप से हो तो बाल विवाह की पूर्णतः समाप्ति संभव है। बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार ने लड़के एवं लड़कियों के विवाह की आयु सीमा तय कर दी है। साथ ही कानून तोड़ने वाले के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है। 

बाल विवाह के लाभ 

बाल विवाह की हानी के अपेक्षा लाभ बहुत ही कम होता है। कुछ लोगो के अनुसार कम उम्र में विवाह होने से पति-पत्नी के स्वभाव में अच्छा सामंजस्य हो जाता है। और उनके परिवारिक जीवन की शुरुआत अच्छी रहती है। अतः बचपन में विवाह हो जाने से पति-पत्नी एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। और उनमें संघर्ष कम होगा।

निष्कर्ष

बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा है, जिससे वर वधु का भविष्य सदैव के लिए अंधकारमय बन जाता है। इस कुप्रथा का समाज के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कुप्रथा का पूर्णतः समाप्ति आवश्यक है। अतः इस कुप्रथा के समाप्ति के लिए सरकार के साथ-साथ हम सब को भी इसके खिलाफ कदम उठाना चाहिए। तभी समाज को इस कुप्रथा से मुक्त कराया जा सकता है। और बच्चे का भविष्य अंधेरे में जाने से बचा सकते हैं।

Comment / Reply From